छठ पूजा का आज दूसरा दिन है, की जा रही खरना की पूजा

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पटना – छठ पूजा का आज दूसरा दिन है, और पूरे बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, और नेपाल के कुछ हिस्सों में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या घाटों पर उमड़ी है। नहाय-खाय के साथ छठ पूजा का महापर्व शुरू होने के बाद, आज खरना (दूसरा दिन) की पूजा की जा रही है, जिसमें श्रद्धालु सूर्योदय से पहले उबली हुई चावल, रोटी और गुड़ से प्रसाद तैयार करते हैं और उसे सूर्य देवता की आराधना करते हुए अर्पित करते हैं। इस दिन व्रति उपवास रखते हुए पूजा करते हैं और सूर्य देवता के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

पटना सहित अन्य प्रमुख शहरों के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। घाटों पर सन्नाटा तो है, लेकिन श्रद्धालुओं के जोश और भक्ति का माहौल बना हुआ है। लोग देर रात तक अपने परिवारों और दोस्तों के साथ पूजा की तैयारी में जुटे रहते हैं। घाटों के आसपास चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों द्वारा सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम किए गए हैं।

खरना के दिन व्रति पूरे दिन उपवास रखते हैं, और शाम को विशेष पूजा की जाती है। इस दिन का महत्व खास तौर पर महिलाएं समझती हैं, जो पूरे परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करती हैं। इसके बाद, सप्तमी या सूर्य उपासना के दिन, व्रति सूर्योदय के समय नदी या तालाब के किनारे खड़े होकर सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं। यह दिन छठ पूजा के महापर्व का प्रमुख दिन होता है, जब लोग बड़े श्रद्धा भाव से सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

पटना के गंगा घाट और आस्था के पथ पर विशेष तैयारियां की गई हैं। घाटों पर सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है, साथ ही महिला श्रद्धालुओं के लिए अलग से इंतज़ाम किए गए हैं। इसके अलावा, घाटों पर सफाई और जल स्तर की निगरानी भी की जा रही है।

छठ पूजा का यह पर्व जहां धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, वहीं यह सामाजिक एकता और संस्कृति का भी प्रतीक है, क्योंकि यह पूरे परिवार और समाज को एकजुट करता है। छठ पूजा के तीसरे और चौथे दिन विशेष पूजा होती है, जिसमें महिलाएं नदी में जाकर अर्घ्य अर्पित करती हैं और सूर्य देवता से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

इस पर्व के दौरान, खासकर बिहार में, लोगों का उत्साह और श्रद्धा देखी जा सकती है। इसे एक न केवल धार्मिक पर्व, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी माना जाता है, जो जीवन के निहित अर्थों को प्रकट करता है।

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