भारत ने अमेरिका से मांगी नई जानकारी,फिर खुलेंगे बोफोर्स घोटाले के पन्ने

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देश – भारत ने 64 करड़ो के बोफोर्स मामले में महत्वपूर्ण जानकारी लेने के लिए अमेरिका को एक न्यायिक अनुरोध भेजा है. यह अनुरोध 1980 के दशक के अंत में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के स्वीडन से 155mm वाली फील्ड आर्टिलरी गन के खरीद से जुड़े घोटालों की जांच को वापस शुरु करने की ओर इशारा कर रहा है. ‘TOI’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक CBI ने हाल ही में एक विशेष अदालत की ओर से जारी पत्र अमेरिकी न्याय विभाग को भेजा, जिसमें एजेंसी ने अमेरिका की प्राइवेट जासूसी कंपनी फेयरफैक्स के प्रमुख माइकल हर्शमैन से संबंधित कुछ जानकारी की मांग की है. बता दें कि साल 2017 में हर्शमैन ने दावा किया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी काफी क्रोधित हुए जब उन्हें स्विस बैंक अकाउंट मोंट ब्लांक मिला था, यहां बोफोर्स से रिश्वत का पैसा जमा किया गया था. हर्शमैन का यह भी दावा था कि तत्कालीन सरकार ने उनकी जांच को विफल किया था. 

CBI ने अक्टूबर साल 2024 में दिल्ली की कोर्ट से संपर्क किया था, जिसमें उनकी ओर से अमेरिकी अधिकारियों से जानकारी इकट्ठा करने के लिए मंजूरी देने का अनुरोध किया गया था. यह स्टेप तब लिया गया था जब माइकल हर्शमैन ने जांच के लिए भारतीय एजेंसियों के साथ सहयोग करने पर सहमति जताई थी. बता दें कि बोफोर्स घोटाले को स्वीडिश रेडियो की ओर से उजागर किया गया था. यह साल 1989 के चुनाव में राजीव गांधी की हार का मुख्य कारण बना था, हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2004 में पूर्व पीएम के खिलाफ रिश्वत के आरोपों को खारिज कर दिया था, लेकिन घोटाले से जुड़े सवाल आज भी बने हुए हैं. घोटाले में इटली के बिजनेसमैन ओटावियो क्वात्रोची की भी संदिग्ध भूमिका पाई गई थी. वह राजीव गांधी की सरकार में काफी प्रभावशाली थी. जांच के दौरान क्वात्रोची को भारत छोड़ने की अनुमति मिल गई थी, जिसके बाद वह मलेशिया चले गया था. 

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