नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 डिजिटल इकोनॉमी मंत्रियों की बैठक को ऑनलाइन संबोधित किया. उन्होंने ऐलान किया कि हम एआई-संचालित भाषा अनुवाद मंच ‘भाषिणी’ बना रहे हैं. यह भारत की सभी अलग-अलग भाषाओं में डिजिटल समावेशन को सपोर्ट करेगा. भारत का डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा दुनियाभर की चुनौतियों के लिए सुरक्षित और समावेशी समाधान पेश करता है.
उन्होंने इस दौरान कहा कि भारत दर्जनों भाषाओं वाला एक विविधतापूर्ण देश है. यहां दुनिया के सभी धर्म पाए जाते हैं और असंख्य सांस्कृतिक प्रथाओं का पालन किया जाता है. यही नहीं प्राचीन परंपराओं से लेकर आधुनिक तकनीक तक भारत में सभी के लिए कुछ न कुछ है. इतनी विविधताएं होने के कारण भारत समाधान के लिए एक आदर्श परीक्षण प्रयोगशाला है.
उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के साथ अपने अनुभव साझा करने के लिए तैयार है. भारत में सफल हुए किसी भी समाधान को दुनिया में कहीं भी आसानी से लागू किया जा सकता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे डिजिटल अर्थव्यवस्था बढ़ेगी इसके सामने सुरक्षा संबंधी खतरे आएंगे, चुनौतियां आएंगी. सुरक्षित डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए सर्वसम्मति बनाए जाने की जरूरत है.
पीएम ने कहा कि जन धन, आधार और मोबाइल फोन ने वित्तीय लेन-देन में क्रांति ला दी है. इससे सरकारी सहायता सीधे लोगों के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है. इससे भ्रष्टाचार पर रोक लगी है. हर महीने यूपीआई पर करीब 10 अरब लेनदेन होते हैं. पिछले नौ साल में भारत में अभूतपूर्व डिजिटल परिवर्तन हुआ है. यह 2015 में डिजिटल इंडिया की शुरुआत के साथ शुरू हुआ.
उन्होंने कहा कि जी20 में हमारे पास समावेशी, समृद्ध और सुरक्षित वैश्विक डिजिटल भविष्य की नींव रखने का एक अनूठा अवसर है.