दिल्ली – राज्यसभा में सोमवार को दिल्ली सेवा बिल पर जोरदार बहस देखने को मिली और इसके बाद बिल पास भी हो गया. इस बिल पर वोटिंग के दौरान विपक्षी एकता तार-तार हो गई. बिल के पक्ष में 131 वोट डाले गए तो इसके विरोध में विपक्षी सासंदों की ओर से सिर्फ 102 वोट पड़े. विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. और NDA से दोनों बाहर रहने वाली BJD और YSRCP ने भी बिल का समर्थन किया. इसके अलावा TDP सांसद ने भी मोदी सरकार का साथ दिया. इस तरह से बिल 131 सांसदों के सहयोग से पास हो गया. अब इस बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लगना बाकी है. इसके बाद यह कानून बन जाएगा.
बिल पर वोटिंग के दौरान जेडीयू के एक सांसद ने खेल कर दिया. इस सांसद का नाम हरिवंश नारायण सिंह है. दरअसल, इस बिल का विरोध करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर रखा था. वोटिंग के दौरान जेडीयू सांसद और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने पार्टी के व्हिप का पालन नहीं किया. बिल पर हरिवंश बाबू विपक्षी सांसदों के साथ बैठे थे. लेकिन वोटिंग प्रक्रिया से ठीक पहले वो पहले उन्होंने अपना स्थान बदल दिया और चेयरपर्सन की सीट पर आ गए थे. इससे वो वोटिंग प्रक्रिया से बाहर हो गए थे.
अब इसको लेकर राजनीतिक अटकलें शुरू हो गई हैं. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि नीतीश कुमार ने एनडीए में वापसी के लिए पिछला दरवाजा खोल रखा है और हरिवंश बाबू ही एक नीतीश कुमार की फिर से पीएम मोदी से दोस्ती कराएंगे. पिछले एक महीने में दो केंद्रीय मंत्री भी इसी तरह का बयान दे चुके हैं. केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले और पशुपति पारस ने हाल ही में कहा है कि नीतीश कुमार फिर से एनडीए में वापसी कर सकते हैं. हालांकि नीतीश कुमार को करीब से जानने वाले लोगों को ये मुश्किल लगता है.
उनका कहना है कि नीतीश कुमार जब पाला बदलने वाले होते हैं, तो जिससे दोस्ती करने वाले होते हैं उसके खिलाफ नरम हो जाते हैं. वो अपनी पार्टी के नेताओं को भी उसके खिलाफ बयानबाजी करने से बचने की सलाह देते हैं. लेकिन लोकसभा में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने जिस तरह से हमला बोला, उससे नहीं लगता कि हाल-फिलहाल में जेडीयू और बीजेपी की दोस्ती हो सकती है.
कुछ लोगों का तो ये भी मानना है कि हरिवंश नारायण सिंह ही जेडीयू से नाता तोड़ने वाले हैं. इसीलिए वो पार्टी लाइन से इतर काम कर रहे हैं. दिल्ली सेवा बिल पर वोटिंग के दौरान भी उन्होंने पार्टी की बात नहीं मानी. इससे पहले जब नई संसद का उद्घाटन हो रहा था, तब जेडीयू ने उस समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया था, लेकिन राज्यसभा के उपसभापति होने के नाते हरिवंश ने इस समारोह में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. यहां तक कि उन्होंने नई संसद को रिकॉर्ड समय में बनाने के लिए पीएम मोदी की जमकर तारीफ की थी. इस पर जेडीयू नेताओं ने उनकी जमकर आलोचना की थी.