बिहार – देश में बीते 2-3 वर्षों से एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है, जिसमें हिंदू त्योहारों पर निकाले गई शोभायात्राओं को टारगेट किया जा रहा है. बिहार में तो अब हर त्योहार पर हिंसा का दौर शुरू हो चुका है. रामनवमी और हनुमान जयंती के बाद अब नागपंचमी भी इससे अछूती नहीं रही. प्रदेश में कई जगहों पर महावीर जुलूस पर उपद्रवियों द्वारा पथराव किया गया. बगहा में तो हालात सुधारने के लिए पुलिस को इंटरनेट तक बंद करना पड़ा है. बिहार सरकार के गृह विभाग के निर्देशानुसार इंटरनेट सेवाओं पर अगले आदेश तक पाबंदी और रोक लगा दी है. शासन-प्रशासन की सख्ती के बाद भी उपद्रवी बाज नहीं आ रहे हैं. बगहा में हिंसा के दूसरे दिन यानी मंगलवार (22 अगस्त) को कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा पत्रकारों पर हमला किया गया. पत्रकारों के फोन और कैमरे छीनकर तोड़ दिए गए, जिससे ग्राउंड जीरो के हालात किसी को ना दिखाए जा सकें. हालांकि, पुलिस का कहना है कि स्थिति अब पूरी तरह से कंट्रोल में है.
बिहार में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी धार्मिक आयोजन या त्योहार को खराब करने की कोशिश की गई हो. रामनवमी पर भी कई जगहों पर हिंसा देखने को मिली थी. असमाजिक तत्वों ने हनुमान जयंती के जुलूसों पर भी हमला किया था. उपद्रवियों ने ताजिया जुलूस के दौरान भी खूब तांडव मचाया था. कई जगहों पर गोलीबारी की घटनाएं भी सामने आई थीं. सवाल ये है कि आखिर वे कौन लोग होते हैं, जिन्हें ऐसे आयोजनों में अचानक दिक्कत हो जाती है. वो कौन हैं जो अपनी मंशा के मुताबिक चलने के लिए कानून तक को ताक पर रखने से नहीं हिचकते. दूसरा बड़ा सवाल ये भी है कि हमारी खूफिया एजेंसियां आखिर क्या करती हैं? उन्हें दंगों की साजिश रचे जाने की भनक तक नहीं लग पाती. आने वाले वक्त में रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, नवरात्रि, दिवाली और छठ होना है. क्या शासन-प्रशासन अब ऐसी घटनाएं नहीं होने की गारंटी दे सकता है या फिर अब डर के साये में ही त्योहार मनाए जाया करेंगे?
देश के नेता ऐसी घटनाओं पर भी राजनीतिक रोटियां सेंकने लग जाते हैं. नागपंचमी पर हुई हिंसा को लेकर भी राजनीति शुरू हो चुकी है. हर दल इसके जरिए अपने वोटबैंक को मजबूत करने की कोशिश में जुटा है. महागठबंधन सरकार में शामिल सभी दल इसके लिए बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं. पुलिस की जांच अभी जारी है, लेकिन राजद की ओर से मुस्लिमों को क्लीन चिट दे दिया गया है. राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने तो यहां तक कह दिया कि मुसलमान मोहल्ले से महावीर जुलूस यात्रा निकालने की क्या जरूरत थी. बीजेपी पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि ये लोग मुसलमान के मोहल्ले से गुजरे और एक धर्म विशेष के खिलाफ टिप्पणी किया. उसके बाद उधर से ईट-पत्थर फेंके गए.
जदयू और कांग्रेस ने भी बीजेपी और आरएसएस को इस घटना के लिए दोषी ठहराया. उनका कहना है कि बीजेपी ऐसी घटनाओं के जरिए ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही हैं. वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि नागपंचमी के दिन हम जुलूस क्यों नहीं निकालेंगे? सुरक्षा देने का काम नीतीश कुमार की सरकार का काम है. उन्होंने कहा कि पुलिस सोई हुई है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से बिहार नहीं संभाल रहा है. कम्युनिज्म और करप्शन पूरे बिहार में दिख रहा है. नीतीश कुमार का इकबाल बिल्कुल खत्म हो चुका है.