सुष्मिता सेन को ट्रांसजेंडर बनने में लगे 6 महीने, फिल्म में ‘ताली’ बजाने की स्क्रिप्ट के लिए करना पड़ा ये काम

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नई दिल्ली: फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा पहली बार होगा, जब कोई फिमेल एक्टर ट्रांसजेंडर का रोल प्ले करने जा रही है। फिल्मों में अक्सर मर्दों ने ही ट्रांसजेंडर का किरदार निभाया है। सुष्मिता सेन ने फिल्म ताली में एक ट्रांसजेंडर का रोल प्ले करने के लिए छह महीने का वक्त लिया था, तब जाकर उन्होंने इसके लिए हामी भरी थी।

सुष्मिता सेन की अपकमिंग सीरीज़ ताली का ट्रेलर आ चुका है। जिसमें वे एक बार फिर एक अनोखे किरदार में नजर आने वाली हैं। सुष्मिता इस सीरीज में ट्रांसजेंडर गौरी सांवत के किरदार में नजर आने वाली है। ट्रेलर के रिलिज के बाद से ही ताली को उनके करियर का सबसे दमदार किरदार बताया जा रहा है। बता दें, कि सुष्मिता को इस किरदार के लिए हामी भरने में 6 महीने का समय लग गया था। फिल्म के मेकर अर्जुन-कार्तिक ने बातचीत के दौरान कई खुलासे किए हैं।

ट्रांसजेंडर बनने में छह महीने का लगाया समय

सुष्मिता को पता था कि ये फिल्म ट्रांसजेंडर बेस्ड है, तब से ही वो स्क्रिपट को लेकर उत्साहित थीं। छह महीने तक वो स्क्रिपट को पढ़ती रही, उनका कहना था कि वे इस फिल्म को गहराई से समझना चाहती हैं। उन्होंने इस कहानी को याद कर लिया था, जब सेट पर स्क्रिपट में कुछ बदलाव आते, तो वे कहती कि, क्या आप लोगों ने स्क्रिपट में बदलाब किए है। इन महीनों में सुष्मिता लगातार हमसे टच में रहती थीं। वो मेकर्स के विजन को भी समझना चाहती थीं। वो कई सवालों से घिरी हुई थीं, उनकी डिटेलिंग कमाल की थी।एक बार उन्होंने हमसे पूछा कि क्या जो गणेश नाम का लड़का है, वो सेक्स एक्सचेंज करने के बाद जब गौरी बनेगा तब, वो पहली बार ब्रा पहनेगा, तो उसे स्क्रीन पर किस तरह से दिखाया जाएगा?

सुष्मिता इसीलिए बनी पहली पसंद

फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा पहली बार होगा, जब कोई फिमेल एक्टर ट्रांसजेंडर का रोल प्ले करने जा रही है। फिल्मों में अक्सर मर्दों ने ही ट्रांसजेंडर का किरदार निभाया है। इसके पीछे की खास वजह पर कहते हैं, अगर आप देखें, तो श्रीगौरी जी जो हैं, वो बहुत ही फेमिनीन पर्सनैलिटी हैं। बेशक उन्होंने पेटिशन फाइल किया था। इसके साथ ही वो एक मां भी हैं। एक मां वाली फिलिंग्स केवल एक औरत ही ला सकती है। और सुष्मिता भी एक मां है, वे इस किरदार में फिट आएंगी। श्रीगौरी जी बहुत ही स्वीट सी हैं। हम उस खूबसूरत औरत की कहानी बताने जा रहे हैं, जो एक मां भी हैं। अगर हम यहां मर्द को इस कैरेक्टर के लिए लेते हैं, तो वो एक रियल मां का फिलिंग्स नहीं ला पाएगा।

2200 ट्रांसजेंडर की कास्टिंग हुई है

फिल्म में हम किसी एक्टर एक्ट्रेस को लेने के बजाए क्यों ना हम किसी ट्रांसजेंडर एक्टर को मौका देते। जवाब में अर्जुन-कार्तिक कहते हैं, कास्टिंग को तीन भागों में बाटा जाता है। प्राइमरी, सेकेंडरी और जूनियर इन तीनों भागों में हम आर्टिस्ट को हायर करते है। सेकेंडरी कास्टिंग में 8 से 10 ट्रांसजेंडर हैं, जिनके डायलॉग्स भी हैं। वहीं जूनियर आर्टिस्ट्स में सौ प्रतिशत ट्रांसजेंडर्स हैं। और  रही बात मेन लीड की, तो इसके पीछे कमर्शल एंगल समझने की जरूरत है। अगर हम यहां किसी ट्रांसजेंडर को सुष्मिता की जगह कास्ट करते, तो यह एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बन कर रह जाती।

किसी भी कम्यूनिटी को ठेस न पहुंचे

यह फिल्म एक एजीवीटीक्यू क्मयूनिटी पर आधारित है। ऐसे में इस बात पर कितना फोकस किया जाएगा कि किसी की भी भावना को ठेस न पहुंचे। इसके जवाब में अर्जुन-कार्तिक कहते हैं, कि इस चीज को लेकर हम ज्यादा अलर्ट भी थे। हम पूरी तरह से सतर्क थे, कि किसी की भावना को ठेस न पहुंचे। जब गौरी से मुलाकात हुई थी, तो उस वक्त हम कई ट्रांसजेंडर से मिल चुके थे। हमने पूरी फिल्म में रेग्यूलर जुनियर आर्टिस्ट्स को कास्ट करने के बजाए, पूरी फिल्म में ट्रांसजेंडर्स को ही कास्ट किया है। पूरी फिल्म में 2200 ट्रांसजेंडर ने एक्टिंग की है। हमारी कोशिश उन्हें जॉब देने के साथ-साथ यह भी है, कि इसे नॉर्मल किया जा सके। हमें उन्हें एंटरटेनमेंट वर्ल्ड के लिए मौका भी देना चाहिए थे।

फिल्म ताली मराठी में बनने वाली थी

इस फिल्म की बायोपिक के बारे में अर्जुन कहते हैं कि जब हमारे पास फिल्म आई थी, तो यह एक मराठी स्क्रिप्ट में लिखी थी। राइटर्स मराठी फिल्म बनाने के मकसद में थे। जब हमने स्क्रिप्ट पढ़ा, तो लगा कि यह एक खूबसूरत वेब सीरीज बन सकती है। अगर किसी व्यक्ति की जर्नी बतानी है, तो वो दो घंटे में सिमट जाए, ये संभव नहीं है। उसके ग्राफ को समझाना भी जरूरी होता है। और फिर यहां से फिल्म की शुरूआत हो गई।

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