बिहार की राजधानी पटना के गुलबी घाट पर 7 नवंबर, 2024 दिन गुरुवार को मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा पंचतत्व में विलीन हो गईं. सुबह करीब 10.30 बजे पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. बेटे अंशुमन सिन्हा ने मुखाग्नि दी. इस दौरान घाट पर शारदा सिन्हा अमर रहें और जय छठी मईया के जयकारे भी गूंजते रहे.
अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद लोगों की आंखों में आंसू थे. इस दौरान स्थानीय लोगों के साथ राजनेता और शारदा सिन्हा के परिवार के लोग भी मौजूद थे. सुबह करीब पौने नौ बजे राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास से अंतिम यात्रा निकली. बेटे अंशुमन ने मां की अर्थी को कंधा दिया. उनके साथ बीजेपी के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव, विधायक संजीव चौरसिया भी दिखे. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा गुरुवार शाम शारदा सिन्हा के राजेन्द्र नगर स्थित घर पर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे.
यह खबर सचमुच बहुत दुखद है। शारदा सिन्हा जी का निधन बिहार और समूचे भारतीय संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। शारदा सिन्हा जी ने अपनी आवाज़ से लोक संगीत को एक नई पहचान दी थी, और उनका योगदान भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनकी गायकी विशेष रूप से भोजपुरी और मैथिली लोक संगीत में प्रचलित थी, और उनके गाने बिहार की पहचान बन गए थे।
उनकी आवाज़ में एक अनोखा जादू था, जो दिलों को छू जाता था। चाहे वह “भिखारी ठाकुर” के गीत हों या “दहेज के गाने”, शारदा सिन्हा जी ने लोक गीतों को न केवल प्रस्तुत किया, बल्कि उन पर अपनी छाप भी छोड़ी। उनका संगीत भारतीय समाज और लोक परंपराओं के प्रति उनकी गहरी समझ और श्रद्धा को दर्शाता था।