हाल ही में बिहार के पूर्व सांसद और जन अधिकार पार्टी (JAP) के नेता पप्पू यादव ने झारखंड में कांग्रेस पार्टी के लिए प्रचार किया, जहां उन्होंने बीजेपी और खासकर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर विवादित और अभद्र टिप्पणी की। पप्पू यादव ने हिमंता बिस्वा सरमा के खिलाफ कड़ी आलोचना करते हुए उन्हें ‘धन की शक्ति’ का प्रतीक करार दिया और उनकी नीतियों पर भी सवाल उठाए।
यह घटना राजनीतिक दृष्टि से बहुत चर्चा में रही है, क्योंकि पप्पू यादव का बयान तेज और तीखा था। उन्होंने आरोप लगाया कि हिमंता बिस्वा सरमा जैसे नेता केवल सत्ता और धन के बल पर राजनीति कर रहे हैं, और वे अपने नेताओं की छवि को धूमिल करने का काम कर रहे हैं।
पप्पू यादव के इस बयान के बाद, असम भाजपा और हिमंता बिस्वा सरमा समर्थकों ने उनकी कड़ी निंदा की और इसे अनुशासनहीनता के रूप में देखा। यह मामला इस बात को भी दर्शाता है कि भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला अक्सर तेज हो जाता है, खासकर चुनावों के दौरान, जब हर पक्ष अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए हर हथकंडा अपनाता है।
पप्पू यादव का यह बयान कांग्रेस के लिए एक और झटका बन सकता है, क्योंकि उनके आलोचक उन्हें राजनीतिक बयानबाजी और विवादों में लिप्त होने के आरोपों में घेरते रहे हैं। इस बयान के परिणामस्वरूप एक नया राजनीतिक विवाद उभर सकता है, और यह भी देखा जाएगा कि इस पर विभिन्न दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया क्या होती है।